NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 10 नेताजी का चश्मा - स्वयं प्रकाश


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NCERT Solutions for Chapter 10 नेताजी का चश्मा - स्वयं प्रकाश (Netaji ka Chasma - Swayam Prakash)

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स्वयं प्रकाश (Swayam Prakash) 1947

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Topics Covered

  • प्रश्न अभ्यास
  • रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न अभ्यास 

NCERT Solutions for Chapter 10 नेताजी का चश्मा Class 10 Hindi प्रश्न अभ्यास

1. सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?

उत्तर

सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन इसलिए कहते थे क्योकि उसमे देश के प्रति बहुत आदर व सम्मान था तथा व देशप्रेम की भावना से भरा था।


2. हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद मे तुरंत रोकने को कहा –

(क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?
(ख) मूर्ति पर सरकंड़ें का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?
(ग) हालदार साहब इतनी सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?

उत्तर

(क) हालदार साहब पहले इसलिए मायूस हो गए थे क्योकिं उन्होने सोचा कि आज़ वह कस्बे के चौराहे पर बासे की मूर्ति तो जरूर मिलेगी, परंतु पहले के जैसे उसमे चश्मा नही लगा होगा क्योकि च१मे म२ चुका है औ२ किसी अन्य से यह उम्मीद नहीं की जा सकती।

(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि आज भी लोगो मे देशप्रेम की भावना जीवित है।

(ग) हालदार साहब ने जब नेताजी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा देखा, तो उनकी मन की निराशा छ्ण मे दूर हो गई और उनकी आँखे खुशी से नम हो गई।


3. आशय स्पष्ट कीजिए।

“बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश के खातिर घर – गृहस्थी – जवानी – जिन्दगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।”

उत्तर

हालदार साहब बार-बार सोचते है कि उस कौम का क्या होगा जो देश के लिए सबकुछ छोड़ देने वालो पर भी हँसते है। केवल अपनी स्वार्थ की पूर्ति के लिए जीते है और देशप्रेम की भावना को हँसी मे उड़ाते है।


4. पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर

पानवाला काला और मोटा था। वह बहुत खुशमिजाज व्यक्ति था। वह हरदम अपने मुँह मे पान दबाए रहता था जिसके कारण उसके दाँत लाल और काले हो गए थे।


5. “वो लँगड़ा क्या जाएगा फौज मे, पागल है पागल।” कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।

उत्तर

कैप्टन भले ही शरीर से असक्षम था पर उसके दिल मे देशप्रेम की भावना किसी फौजी से कम नहीं थी। उसमे देश के लिए कुछ कर देने का पागलपन था जिसके कारण पानवाला उसका मजाक उड़ाता है, पानवाले का ऐसा बर्ताव उसकी छोटी सोच का पता देता है और उसके स्वार्थपरता की भावना को दर्शाता है । सच तो यह है कि कैप्टन की सम्पर्ण की भावना वाहवाही की पात्र है, अपहास की नहीं।


NCERT Solutions for Chapter 10 नेताजी का चश्मा Class 10 Hindi रचना और अभिव्यक्ति

6. निम्नलिखित वाक्य पात्रो की कौन- सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं-

(क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते।
(ख) पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुंह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखे पोंछता हुआ बोला-साहब! कैप्टन मर गया।
(ग) कैप्टन बार- बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।

उत्तर

(क) हालदार साहब के अंदर छिपी देशप्रेम की भावना झलकती है।
(ख) पानवाले की संवेदनशीलता और देशप्रेम की भावना का पता चलता है।
(ग) कैप्टन के दिल मे देश का सबसे ऊँचा स्थान था तथा उसके दिल मे देशप्रेमियो के लिए भी इज्जत कूटकूट कर भरी थी।


7. जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात् देखा नही था तब तक उनके मानस फ्ल पर उसका कौन- सा चित्र हा होगा, अपनी कल्पना से लिखिए।

उत्तर

हालदार साहब ने जबतक कैप्टन को देखा नहीं था तबतक उनके मानस पटल पर कैप्टन की एक रौबदार व मजबूत काया वाले आदमी की छवि रही होगी। हालदार साहब को लगता होगा कि फौज मे होने के कारण उसे कैप्टन कहा जाता है।


8. कस्बो, शहरो, महानगरों के चौराहो पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन सा हो गया है-

(क) इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते है?
(ख) आप अपने इलाके के चौराहे पर किसकी मूर्ति लगवाना चाहेंगे और क्यों ?
(ग) उस मूर्ति के प्रति आपके व दूसरे लोगो के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए ?

उत्तर

(क) इस मूर्ति को लगाने का उद्देश्य जन सामान्य मे देश प्रेम की भावना को जाग्रत करना होगा।
(ख) हम अपने इलाके मे गाँधी जी की मूर्ति लगाना चाहेंगे ताकि हर किसी को अहिंसा की सीख मिल सके।
(ग) ३स मूर्ति के प्रति हमारा यह ३त्तरदायित्तव होगा कि हम ३स मूर्ति की गरिमा को बनाए रखे व उसको कोई क्षति न पहुँचाए तथा उस महापुरुष के गुणो को अपने आचरण मे शामिल करें।


9. सीमा पर तैनात फ़ौजी ही देश-प्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी न किसी रूप में देश-प्रेम प्रकट करते हैं; जैसे—सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन-जगत से जुड़े ऐसे और कार्यों का उल्लेख कीजिए और उन पर अमल भी कीजिए।

उत्तर

हम सभी अपने दैनिक कार्यों में कुछ ना कुछ कर इसे देशप्रेम के उदाहरण के रूप में प्रदर्शित कर सकते हैं। एक कहावत ‘ जहाँ चाह वहाँ राह’ का अर्थ हम सब जानते हैं। यह बात देशप्रेम के मामले में भी लागू होती है। कहने का अर्थ है हमें देशप्रेम की चाह रखने पर हमें उसके प्रदर्शन के मौके अपने आप मिल जाएंगे। जैसे हम वर्ष के तीन रास्ट्रीय पर्व अर्थात गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और महात्मा गांधी के जन्मदिन अर्थात अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के मौके पर हम इन त्यौहारों के रूप में मनाकर अपनी देशप्रेम की भावना का प्रदर्शन कर सकते हैं। इन अवसरों पर हम जहाँ और जिस स्थिति में हों हम अपने सामर्थ्य से इन दिवसों को एक अविस्मरणीय घटना के रुप में याद करने लायक बना सकते हैं। इसके अलावा हम ऐसी हर चुनौती जिसका सामना हमें अपने देश के विकास होने के क्रम में करना पड़े उसे स्वीकार कर व्यक्तिगत और सामाजिक ढंग से उस चुनौती को स्वीकार कर अपनी देशभक्ति का परिचय दे सकते हैं। हमें अपने देश में मौजूदा लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत अपना सहयोग देश को आगे बढाने में सरकार को देना होगा। सिर्फ वोट देकर सारी बातों को अगले 5 सालों तक भूल जाने वाले रवैये से हमें कुछ हासिल नहीं होने वाला है। चाहे वह चुनौती स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रदूषण, पर्यावरण या अन्य चीजों से जुड़ी हो या शिक्षा या अन्य क्षेत्र की बात हो सबमें हम अपनी देशभक्ति इन क्षेत्रों के विकास में एक भागीदार हो कर ही प्रदर्शित कर सकते हैं चाहे वह वेट एण्ड वाच(प्रतीक्षा करो और स्थिति पर नजर बनाये रखो) वाली भागीदारी ही क्यों न हो।


10. निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिएकोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दे दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।

उत्तर

लेखक ने प्रस्तुत उक्ति पानवाले के मुंह से कहलवाई है। वास्तव में हालदार साहब कैप्टन द्वारा नेताजी की मूर्ति पर अलग-अलग चश्मा लगाने का कारण जानने के बारे में उत्सुक थे। उन्होंने इस बारे में पानवाले से पूछा। तब पानवाले ने हालदार साहब को जो बातें उत्तर के रूप में बताईं वही प्रस्तुत उक्ति बनकर हमारे सामने आया है। पानवाले का उत्तर है-आप समझिये। चश्मा के दुकानदार कैप्टन के पास कोई चश्मा के मोटे फ्रेम की चाह रखने वाला ग्राहक आ गया होगा और वह फ्रेम कैप्टन के नेताजी की मूर्ति पर पहले ही अच्छा समझकर लगा दिया होगा। अब उसे ग्राहक की मांग पर उसे उसकी पसंद की मोटी फ्रेम वाला चश्मा भी उपलब्ध कराना था। अब वह चश्मा कहां से लाता? इसीलिये कैप्टन ने मूर्ति वाला मोटा फ्रेम उतारकर उस ग्राहक को दे दिया और नेताजी की मूर्ति पर उसने अपनी पसंद का दूसरा चश्मा लगा दिया।


11. 'भई खूब! क्या आइडिया है।' इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से क्या लाभ होते हैं?

उत्तर

‘भई खूब! क्या आइडिया है।‘ वाक्य दूसरी भाषाओं से लिये गये शब्दों से भरा पङा है। हालांकि अर्थ समझाने में ये प्रस्तुत वाक्य कहीं से भी हिन्दी भाषा की कमी को खलने नहीं देता हैं बल्कि इस वाक्य में प्रयोग किये गये उर्दू और अंग्रेजी के शब्द वाक्य के वास्तविक अर्थ को कहीं अधिक अच्छे ढंग से हमारे सामने व्यक्त करते हैं। वास्तव में एक भाषा के शब्द के दूसरी भाषा में आने से लाभ ही लाभ होते हैं। उदाहरण के तौर पर थैंक्यू कहने से अर्थ भी स्पष्ट होता है और यह हिन्दी में इसके लिए प्रयुक्त शब्द धन्यवाद से थैंक्यू शब्द कहीं अधिक व्यवहारिक लगता है । कई बार ऐसा होता है कि एक भाषा के शब्द के अर्थ दूसरी भाषा में प्रयुक्त शब्द के अर्थ से समझ में आते हैं। उदाहरण के तौर पर हमें त्रिपाद चालक का अर्थ समझने में शायद देर लगे और रिक्शावाला कहने से हम तुरंत अर्थ समझ जाते हैं। इसलिए एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्द लाभकारी ही होते हैं।


NCERT Solutions for Chapter 10 नेताजी का चश्मा Class 10 Hindi भाषा अध्ययन

12. निम्नलिखित वाक्यों से निपात छाँटिए और उनसे नए वाक्य बनाइए –

(क) नगरपालिका थी तो कुछ न कुछ करती भी रहती थी।
(ख) किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया गया होगा।
(ग) यानी चश्मा तो था लेकिन संगमरमर का नहीं था।
(घ) हालदार साहब अब भी नहीं समझ पाए।
(ङ) दो साल तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में ३स कस्बे से गुजरते रहे।

उत्तर

(क) कुछ न कुछ – हमे हमेशा कुछ न कुछ काम करते रहना चाहिए।
(ख) को ही- मेहनत करने वाले को ही सफलता मिलती है।
(ग) तो था- मै वहाँ गया तो था मगर मुझे वहाँ कोई मिला नहीं।
(घ) अब भी- तुम अब भी पढ़ने नहीं बैठे।
(ङ) में- बारिश में चाय पीने का मजा ही अलग है।


13. निग्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य मे बदलिए –

  1. पानवाला नया पान खा २हा था।
  2. पानवाले ने साफ बता दिया था।
  3. ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारे।
  4. नेताजी ने देश के लिए अपना सबकुछ त्याग दिया।

उत्तर

  1. पानवाले से नया पान खाया जा २हा था।
  2. पानवाले द्वारा साफ़ बता दिया गया था।
  3. ड्राइवर द्वारा जोर से ब्रेक मारा गया।
  4. नेताजी द्वारा देश के लिए अपना सबकुछ त्याग दिया गया।


14. नीचे दिए वाक्यों को भाववाच्य मे बदलिए।

(क) माँ बैठ नहीं सकती।
(ख) मैं देख नहीं सकती।
(ग) चलो, अब सोते है।
(घ) माँ रो भी नहीं सकती।

उत्तर

(क) माँ से बैठा नहीं जाता।
(ख) मुझसे देखा नहीं जाता।
(ग) चलो, अब सोया जाए।
(घ) माँ से रोया भी नहीं जाता।


NCERT Solutions for Chapter 10 नेताजी का चश्मा Class 10 Hindi पाठेतर सक्रियता

15. लेखक का अनुमान है कि नेताजी की मूर्ति बनाने का काम मजबूरी में ही स्थानीय कलाकार को दिया गया

(क) मूर्ति बनाने का काम मिलने पर कलाकार के क्या भाव रहे होंगे?

(ख) हम अपने इलाके के शिल्पकार, संगीतकार, चित्रकार एवं दूसरे कलाकारों के काम को कैसे महत्त्व और प्रोत्साहन दे सकते हैं, लिखिए।

उत्तर

(क) मूर्तिकार एक स्थानीय व्यक्ति था। वह अपनी कला को पूर्णरूपेण मूर्ति के निर्माण में झोंक देना चाहता था। चाहे भले ही उसे मूर्ति बनाने का काम मजबूरी में सौंपा गया होगा। फिर भी वह स्थानीय मूर्तिकार मूर्ति बनाने में अपनी कला-कौशल के प्रदर्शन में पीछे नहीं रहना चाहता था। ऐसा वह अपने काम के प्रति दूसरों के मन में विश्वास पैदा करने के उद्देश्य से भी कर रहा था ताकि उसका रोजगार चल निकले।

(ख) हमें अपने इलाके के शिल्पकार, संगीतकार, चित्रकार एवं दूसरे कलाकारों को मान-सम्मान देना ही है। वे चूंकि कलाकार होने के कारण समाज में उंचा स्थान रखते हैं इसलिए हमें उनकी पूछ करनी ही होगी, उन्हें महत्व देना ही होगा। चूंकि कलाकार एक संवेदनशील प्राणी होता है इसलिए हमें उनका मनोबल बनाये रखने के लिये हमें उन्हें विभिन्न अवसरों पर और भिन्न स्तरों पर सम्मानित करना ही होगा। वास्तव में समाज कलाकार का ऋणी होता है और समाज का यह फर्ज बनता है कि वो कलाकार का ऋण चुकाए। इसीलिये समाज के एक अंग होने के कारण हमें कलाकार का ऋण उसे महत्व देकर और उसका सम्मान कर चुकाना ही होगा|


16. आपके विद्यालय में शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण विद्यार्थी हैं। उनके लिए विद्यालय परिसर और कक्षा-कक्ष में किस तरह के प्रावधान किए जाएँ, प्रशासन को इस संदर्भ में पत्र द्वारा सुझाव दीजिए।

उत्तर

जिला शिक्षा अधिकारी

शिक्षा विभाग

समाहरणालय, भागलपुर।

विषय- विद्यालय में शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण विद्यर्थियों के हेतु सुव्यवस्था हेतु प्रार्थना-पत्र।

महोदय,

सविनय पूर्वक यह निवेदन है कि मेरे विद्यालय संत टेरेसा स्कूल, भागलपुर में ऐसे कई छात्र पढ़ते हैं, जिनमें पढने की दृढ लगन तो है पर वे दिव्यांग यानि अपने पैरों से काफी हद तक लाचार हैं। वे सामान्य विद्यार्थी की तरह ही शारिरिक मेहनत कर रोज विद्यालय आते हैं। दुर्भाग्य की बात है कि विद्यालय आने पर भी उन्हें सामान्य विद्यार्थियों की तरह ही समझा जाता है और उनकी राह को आसान बनाने के लिये स्कूल प्रशासन के पास संसाधनों का अभाव है।

अत: श्रीमान से सादर प्रार्थना है कि इन छात्रों के लिये उचित संसाधनों जैसे व्हील चेयर, उचित शौचालय व्यवस्था के साथ इनकी पढाई की निचले तल पर व्यवस्था के इंतजाम किये जाएँ ताकि ये अपना सारा ध्यान पढाई में लगा सकें।

आशा है आप इन विद्यार्थियों की तरफ से मेरी प्रार्थना सुनेंगे।

सधन्यवाद ।

भवदीय

मयंक शेखर

कक्षा 10

संत टेरेसा स्कूल,

अलीगंज,भागलपुर,बिहार।

पिन कोड-128005


17. कैप्टन फेरी लगाता था। फेरीवाले हमारे दिन-प्रतिदिन की बहुत-सी ज़रूरतों को आसान बना देते हैं। फेरीवालों के योगदान व समस्याओं पर एक संपादकीय लेख तैयार कीजिए।

उत्तर

फेरीवाले कई प्रकार के सामान को अपनी छोटी सी गाड़ी में लादकर एक स्थान से दूसरे स्थान उन सामानों को बेचने के उद्देश्य से घूमते रहते हैं। ये अपने गले से सुरीली आवाज निकालकर संभावित ग्राहक का ध्यान अपनी ओर खींचने का प्रयास करते हैं। इनकी बोली-चाली और व्यवहार से लगता नहीं है कि ये अन्दर से कितने दुखी हैं। सर्वप्रथम तो हम जानें कि ये फेरीवाले सामान बेचने की जुगत में अपने घरों से दूर निकल जाते हैं। इनका कोई स्थाई ठिकाना नहीं होता है और इनमें से अधिकांश को सर्दी, गर्मी और बरसात के मौसम का सामना अपने सामान को बेचने के क्रम में करना पङता है। इनकी आमदनी अधिक नहीं होती है फिर भी इन्हें अपने ग्राहकों की फरमाइश उनके द्वार पर जाकर पूरी करनी पङती है और ऐसा करते समय वे ग्राहकों को नाराज करने का जोखिम नहीं मोल ले सकते हैं। इस प्रकार हमारे जीवन को सरल बनाने में फेरी वाले का बहुत योगदान है। और उनकी अपनी समस्याएं भी इस प्रकार काफी हैं।


18. नेताजी सुभाषचंद्र बोस के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक प्रोजेक्ट बनाइए।

उत्तर

नेताजी सुभाषचंद्र बोस जीवन परिचय: सुभाषचंद्र बोस भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी रहे थे। उनका जन्म 23 जनवरी 1897 ई. को उड़ीसा के कटक में एक प्रसिद्ध वकील जानकी दास के घर में हुआ था। लोग उन्हें प्यार से नेताजी कहते थे। उन्होंने एंट्रेंस की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में नामांकन लिया। अपने स्वाभिमानी स्वभाव के कारण उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से पढाई कर आइसीएस की परीक्षा उत्तीर्ण की। हालांकि अपनी देशप्रेम की भावना के कारण उन्होंने आइसीएस से त्यागपत्र दे दिया।

भारत में संघर्ष के दिन: नेताजी ने हमारे देश पर ब्रिटिश शासन से बहुत खफा थे। इसे प्रदर्शित करने हेतु उन्होंने प्रिन्स ऑफ वेल्स के भारत आगमन का विरोध किया, स्वराज दल की स्थापना की, बांग्ला भाषा में पत्र ‘बांगलार कथा’ और ‘फारवर्ड’ निकाले। 1938 और 1939 में वे कॉंग्रेस अध्यक्ष निर्वाचित हुए। हालांकि गांधीजी से मतभेद के चलते उन्होंने त्याग पत्र दे दिया और ‘फारवर्ड ब्लॉक’ पार्टी की स्थापना की। द्वितीय विश्वयुद्ध के विरोध स्वरूप उन्होंने आमरण अनशन किया, वे नजरबंद किये गये।

विदेश गमन और आजाद हिन्द फौज का गठन: हमारे देश की आजादी की योजना मन में रखकर 1941 ई. में नेताजी विदेश चले गये। हिटलर से मिलने के बाद उन्होंने सिंगापुर में जाकर आजाद हिंद फौज का गठन किया। लोगों में उत्साह भरने हेतु उन्होंने जय हिन्द,दिल्ली चलो,तुम मुझे खून दो,मैं तुम्हें आजादी दूंगा नारा दिया।

अवसान: 18 अगस्त 1945 ई. में एक विमान दुर्घटना में नेताजी की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गयी। प्रमाणिक ढंग से उनकी मृत्यु का स्पस्टीकरण आजतक नहीं हो पाया है।


19. अपने घर के आस-पास देखिए और पता लगाइए कि नगरपालिका ने क्या-क्या काम करवाए हैं?

उत्तर

मैं अपने घर के आसपास नगरपालिका द्वारा करवाये गये कई अच्छे कार्यों को देखता हूँ। किसी जमाने में मेरे घर के आसपास लोग अपने घरों के आगे या अपने पड़ोसी के घर के आगे कूड़ा फेंक दिया करते थे। अब हम सभी म्यूनिसिपैलिटी द्वारा लगाए गये कूड़ा बॉक्स में कूड़ा फेंकते हैं। हम कूड़ा फेंकने की प्रक्रिया का नियमपूर्वक पालन कर स्वच्छता के प्रति अपनी भूमिका को निभाना हितकर मानते हैं।

नगरपालिका ने मेरे घर के सामने पक्की सड़क का निर्माण भी कराया है। इससे आम आदमी और सवारी गाड़ी को अपने गंतव्य तक आसानी से पहुंचने में सुविधा होती है। पहले खरंजा वाली सङके थीं। चौक पर उभरा हुआ एक बङा सा अवरोधक था जिसे पार करने में लोगों और सवारी गाड़ियों को दिक्कत होती थी। अब पक्की सङक बन जाने पर हमें सुविधा होती है। हम इस सड़क के रखरखाव पर ध्यान देते हैं।

नगरपालिका ने हमारे घर से कुछ ही दूरी पर अस्पताल बनवाया है। ऐसा होने से हमारी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान पास में मिल जाने से हमें काफी सुविधा हो गयी है। हम अनावश्यक रूप से अस्पताल के संसाधनों का दुरुपयोग नहीं करते हैं।


20. हमारी भूमिका उसमें क्या हो सकती है?

उत्तर

प्रस्तुत निबंध में गद्य की विविध विधाओं में एक ही भाव देशप्रेम के भाव को विभिन्न प्रकार से व्यक्त किया गया है। यहां पर एक ओर तो हमारे देशप्रेम के भाव को हमारे देश के प्राकृतिक सौंदर्य के बारे में जानकारी से है। निबंध में समझाया गया है कि हम देशप्रेम तभी कर सकते हैं जब हम देश की हर वस्तु से प्रेम करेंगे। वरना हमारा देशप्रेम का भाव हमारे देश के बारे में कोरा ज्ञान तक ही सिमट कर रह जाएगा।

लेखक का दूसरी ओर कहना है कि लोग जो हमारे देश के प्राकृतिक सौंदर्य के बारे में अनजान हैं वे अपने देश से प्रेम कैसे कर सकते हैं? लेखक का कहना है कि ये लोग तो अपने देश की प्रकृति से अनजान हैं। ये लोग कहीं दूर बैठकर देश की समस्या के बारे में बिना यहां की हवा में सांस लिये कैसे जान सकते हैं? इन लोगों को कोयल और चातक पक्षियों के बारे में पता नहीं है। इन्हें किसान की समस्याओं के बारे में पता नहीं है। फिर ये किस प्रकार देशप्रेम की भावना से लैस होकर हमारे देश की आर्थिक प्रगति में अपना योगदान दे सकते हैं? इस प्रकार लेखक देशप्रेम की भावना को दो भिन्न प्रकार से व्यक्त कर गद्य की विभिन्न विधाओं में व्यक्त एक भाव देशप्रेम को अलग-अलग प्रकार से व्यक्त करते हैं। इसमें एक प्रेम देश के प्रति देश के बारे में जानकारी होने से अपने मूलरुप में है और दूसरा प्रेम लेखक की नजर में देशप्रेम तो है पर अपने देश की प्रकृति के बारे जानकारी के अभाव में यह प्रेम प्रभावोत्पादक नहीं है। हालांकि दोनों प्रेम एक ही भाव से उत्पन्न होते हैं और यह देशप्रेम का भाव है।

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