NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 11 डायरी का एक पन्ना - सीताराम सेकसरिया


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NCERT Solutions for Chapter 11 सीताराम सेकसरिया – डायरी का एक पन्ना (Diary ka ek Panna - Sitaram Seksaria)

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सीताराम सेकसरिया (Sitaram Seksaria) 1892-1982

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Topics Covered

  • मौखिक
  • लिखित
  • भाषा अध्ययन

प्रश्न -अभ्यास 

NCERT Solutions for Chapter 11 सीताराम सेकसरिया – डायरी का एक पन्ना Class 10 Hindi मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

1. कलकत्ता वासियों के लिए 26 जनवरी 1931 का दिन क्यों महत्वपूर्ण था?

उत्तर

कलकत्ता वासियों के लिए 26 जनवरी 1931 का दिन इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि एक वर्ष पूर्व इसी दिन सारे हिंदुस्तान में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था और इस वर्ष उसकी पुनरावृति थी, जिसके लिए काफी तैयारियां की गई थी।


2. सुभाष बाबू के जुलूस का भार किस पर था?

उत्तर

सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्व उदास पर था, जिसे पुलिस ने पकड़ लिया था।


3. विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर

विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और वहां मौजूद लोगों पर लाठियां बरसाना शुरू कर दिया।


4. लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर किस बात का संकेत देना चाहते थे?

उत्तर

लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थानों पर राष्ट्रीय झंडा पहराकर अंग्रेजी सरकार के सामने अपनी खुशी और उत्साह का प्रदर्शन करते हैं और उनको यह दिखाना चाहते हैं कि अब वे आजाद है और अब अंग्रेज उन पर हुकूमत नहीं कर सकते।


5. पुलिस ने बड़े-बड़े पार्कों तथा मैदानों को क्यों घेर लिया था?

उत्तर

पुलिस ने बड़े-बड़े पार को और मैदानों को इसलिए घेर लिया क्योंकि उस दिन पूरा देश अपनी स्वतंत्रता का जश्न मनाने जा रहा था और जगह-जगह जनसभाएं और झंडारोहण होने वाला था, जिसे पुलिस रोकना चाहती थी।


NCERT Solutions for Chapter 11 सीताराम सेकसरिया – डायरी का एक पन्ना Class 10 Hindi लिखित

क. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 पक्तियों में) लिखिए-

1. 26 जनवरी 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए क्या-क्या तैयारियाँ की गई?

उत्तर

26 जनवरी 1931 से के दिन को अमर बनाने के लिए बहुत-सी तैयारियां की गई थी। सिर्फ प्रचार पर दो हजार रुपए खर्च कर दिए गए थे और सभी कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर उनका काम समझाया था। प्रत्येक मकान व इमारत पर झंडा फहरा रहा था और कलकत्ता के हर भाग को सजाया गया था। जगह-जगह लोग जुलूस निकाल रहे थे।


2. ‘आज जो बात थी वह निराली थी’ – किस बात से पता चल रहा था कि आज का दिन अपने आप में निराला है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

लेखक ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि 26 जनवरी 1931 को जिस हर्षोल्लास और जज्बे के साथ लोगों ने स्वतंत्रता दिवस मनाया था, उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें स्वतंत्रता में मिल ही गई हो। लोगों ने बहुत बड़े पैमाने पर जुलूस निकाला था और सरकार का बहिष्कार करके मोनूमेंट पर झंडा फहराया था।


3. पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर था?

उत्तर

पुलिस कमिश्नर ने नोटिस निकाला था कि कोई भी सभा नहीं हो सकती और कोई भी जुलूस नहीं निकाला जाएगा। यह नोटिस जनता को डराने और उन्हें काबू में करने के लिए निकाला गया था। वही कौंसिल ने नोटिस निकाला कि चार बजकर चौबीस मिनट पर मॉनुमेंट पर झंडा फहराया जाएगा और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। यह नोटिस कानून तोड़कर अंग्रेजी सरकार का बहिष्कार करने के लिए निकाला गया था।


4. धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस क्यों टूट गया?

उत्तर

धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस इसलिए टूट गया था क्योंकि पुलिस ने लोगों पर लाठियां बरसाना शुरू कर दिया था, बहुत से आदमी घायल हो गए थे, कई लोगों के सर फट गए थे और सुभाष बाबू को भी पुलिस पकड़कर लाल बाजार ले गई थी।


5. डॉ. दासगुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देख-रेख तो कर ही रहे थे, उनके फोटो भी उतरवा रहे थे। उन लोगों के फोटो खींचने की क्या वजह हो सकती थी? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

डॉ. दासगुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देख-रेख करने के साथ-साथ उनकी फोटो भी उतरवा रहे थे, ताकि उनकी फोटो को अखबार में व पर्चों पर छपवाकर पूरे देश में फैला सकें और अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे जुल्म के बारे में सबको बता सके। वे सबको यह भी बताना चाहते थे कि कोलकाता में भी स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए काम हो रहा है।

ख. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

1. सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की क्या भूमिका थी?

उत्तर

सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जगह-जगह स्त्रियां जुलूस निकाल रही थी और निर्धारित स्थान पर पहुंचने का प्रयास कर रही थी। मोनुमेंट के पास जब पुलिस सुभाष बाबू को गिरफ्तार करके लालबाजार ले गई और वहां मौजूद लोगों पर लाठियां बरसाने लगी, तब स्त्रियां मोनुमेंट की सीढ़ियों पर चढ़कर झंडा फहरा रही थी और स्वतंत्रता की घोषणा पढ़ रही थी। पुलिस ने उनके ऊपर भी लाठियां बरसाई, लेकिन फिर भी वे पीछे नहीं हटी और पहली बार इतनी भारी संख्या में स्त्रियों की गिरफ्तारी हुई।


2. जुलूस के लालबाजार आने पर लोगों की क्या दशा हुई?

उत्तर

जुलूस के लाल बाजार आने पर पुलिस ने बेकाबू हो रही भीड़ पर लाठियां बरसाना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से बहुत से लोग घायल हो गए और बहुत से लोगों के सिर फट गए। पुलिस ने लोगों को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया और बहुत-सी स्त्रियों की भी गिरफ्तारी हुई। इस सब के बावजूद भी लोग पूरे जोश और जुनून के साथ आगे बढ़ते जा रहे थे। धर्म तले के मोड़ पर आकर जुलूस टूट गया और 50-60 स्त्रियां वही मोड़ पर बैठ गई। पुलिस लगातार लोगों पर लाठियां बरसाई जा रही थी और स्त्रियों का एक समूह मोनुमेंट पर झंडा फहरा रहा था व घोषणा पढ़ रहा था।


3. ‘जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए कि ओपन लड़ाई थी।’ यहाँ पर कौन से और किसके द्वारा लागू किए गए कानून को भंग करने की बात कही गई है? क्या कानून भंग करना उचित था? पाठ के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर

प्रस्तुत पंक्तियों में अंग्रेजी सरकार द्वारा लागू किए गए, सभा नहीं करने व जुलूस नहीं निकालने वाले कानून को भंग करने की बात की गई है। प्रस्तुत पाठ में भारतीयों द्वारा किए गए स्वतंत्रता आंदोलन के तहत तोड़े गए कानूनों का वर्णन किया गया है। हमारे अनुसार यह बिल्कुल सही था क्योंकि अंग्रेजी सरकार भारतीयों पर हुकूमत चला रही थी और उन पर ज़ुल्म कर रही थी; जोकि सरासर गलत है। अंग्रेजों ने संपूर्ण भारतवासियों को अपना गुलाम बना रखा था और इसीलिए भारतीयों ने अपनी स्वतंत्रता व स्वाधीनता के लिए आवाज उठाई थी।


4. बहुत से लोग घायल हुए, बहुतों को लॉकअप में रखा गया, बहुत-सी स्त्रियाँ जेल गईं, फिर भी इस दिन को अपूर्व बताया गया है। आपके विचार में यह सब अपूर्व क्यों है? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

हमारे अनुसार यह दिन अपूर्व इसलिए था क्योंकि इससे पहले कलकत्ता में इतने बड़े पैमाने पर जुलूस नहीं निकाला गया था। ना ही कभी किसी ने इस प्रकार सरकार को खुली चुनौती दी गई थी। पहले कभी भी कोलकाता को इतना नहीं सजाया गया था। हर मकान व इमारत पर भारत के झंडे को फहराया गया था। जगह-जगह झंडारोहण हो रहा था और पुरे कलकत्तावासी उत्साह और नवीनता से भरपूर थे। लोगों व स्त्रियों का इतनी बड़ी संख्या में जुलूस में भाग लेना और अपनी गिरफ्तारी देना अपने-आप में ही अनूठा था।

ग. निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

1. आज तो जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है वह आज बहुत अंश में धुल गया।

उत्तर

प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने 26 जनवरी 1931 को जो हुआ उसे अपूर्व इसलिए बताया है क्योंकि इस दिन पुलिस ने जनसभाओं और झंडारोहण को गैरकानूनी घोषित कर दिया था, लेकिन फिर भी लोगों ने बहुत बड़े पैमाने पर जुलूस में भाग लेकर स्वतंत्रता दिवस मनाया। पूरे कलकत्ता में ऐसी सजावट हुई थी, जैसी पहले कभी नहीं हुई। इस आंदोलन में करीब 160 लोग घायल हुए थे और 105 महिलाएं गिरफ्तार हुई थी। कलकत्ता में इससे पहले कोई बड़ा आंदोलन नहीं हुआ था, इसलिए इस आंदोलन ने कलकत्ता पर लगे कलंक को धो दिया था।


2. खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले कहीं नहीं की गई थी।

उत्तर

26 जनवरी 1931 को 1 वर्ष पूर्व मनाए गए स्वतंत्रता दिवस की पुनरावृति होने वाली थी और लोग इसे बहुत बड़े पैमाने पर जुलूस निकालकर मनाने वाले थे; इसलिए पुलिस कमिश्नर ने पहले ही नोटिस निकाल दिया कि कोई भी सभा नहीं की जाएगी। इसी के तुरंत बाद कौंसिल ने नोटिस निकाला कि ठीक चार बजकर चौबीस मिनट पर मोनूमेंट पर झंडारोहण होगा और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा ली जाएगी। यह नोटिस अंग्रेजी सरकार के लिए खुली चुनौती था।


NCERT Solutions for Chapter 1सीताराम सेकसरिया – डायरी का एक पन्ना Class 10 Hindi भाषा अध्ययन

1. रचना की दृष्टि से वाक्य तीन प्रकार होते हैं –

सरल वाक्य – सरल वाक्य में कर्ता, कर्म, पूरक, क्रिया और क्रिया विशेषण घटकों या इनमें से कुछ घटकों का योग होता है। स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होने वाला उपवाक्य ही सरल वाक्य है।

उदाहरण – लोग टोलियाँ बनाकर मैदान में घूमने लगे।

संयुक्त वाक्य – जिस वाक्य में दो या दो से अधिक स्वतंत्र या मुख्य उपवाक्य समानाधिकरण योजक से जुड़े हों, वह संयुक्त वाक्य कहलाता है।

योजक शब्द – और, परंतु, इसलिए आदि।

उदाहरण – मोनूमेंट के नीचे झंडा फहराया जाएगा और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी।

मिश्र वाक्य – वह वाक्य जिसमें एक प्रधान उपवाक्य हो और एक या अधिक आश्रित उपवाक्य हों, मिश्र वाक्य कहलाता है।

उदाहरण – जब अविनाश बाबू ने झंडा गाड़ा तब पुलिस ने उनको पकड लिया?

निम्नलिखित वाक्यों को सरल वाक्यों में बदलिए।

(क) दो सौ आदमियों का जुलूस लालबाजार गया और वहाँ पर गिरफ्तार हो गया।

(ख) मैदान में हज़ारों आदमियों की भीड़ होने लगी और लोग टोलियाँ बना-बनाकर मैदान में घूमने लगे।

(ग) सुभाष बाबू को पकड़ लिया गया और गाड़ी में बैठाकर लालबाजार लॉकअप में भेज दिया गया।

उत्तर

(क) दो सौ आदमियों का जुलूस लालबाजार जाकर गिरफ्तार हो गया।

(ख) मैदान में जमा हज़ारों आदमियों की भीड़, टोलियाँ बना-बनाकर घूमने लगी।

(ग) सुभाष बाबू को पकड़कर, गाड़ी में बैठाकर लालबाजार लॉकअप में भेज दिया गया।


2. ‘बड़े भाई साहब’ पाठ में से भी दो-दो सरल, संयुक्त और मिश्र वाक्य छाँटकर लिखिए।

उत्तर

(क). सरल वाक्य —

  1. वे स्वभाव से अध्ययनशील थे।
  2. इतिहास में रावण का हाल तो पढ़ा ही होगा।

(ख). संयुक्त वाक्य —

  1. फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है।
  2. उनकी नज़र मेरी ओर उठी और प्राण निकल गए।

(ग). मिश्र वाक्य —

  1. मुझे कुछ ऐसी धारणा हुई कि मैं पास हो जाऊँगा।
  2. उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था, जब मैंने शुरू किया।



3. नीचे दिए गए शब्दों की संरचना पर ध्यान दीजिए –

विद्या + अर्थी = विद्यार्थी

‘विद्या’ शब्द का अंतिम स्वर ‘आ’ और दूसरे शब्द ‘अर्थी’ की प्रथम स्वर ध्यनि ‘अ’ जब मिलते हैं तो वे मिलकर दीर्घ स्वर ‘आ’ में बदल जाते हैं। यह स्वर संधि है जो संधि का ही एक प्रकार है।

संधि शब्द का अर्थ है – जोड़ना। जब दो शब्द पास-पास आते हैं तो पहले शब्द की अंतिम ध्वनि बाद में आने वाले शब्द की पहली ध्वनि से मिलकर उसे प्रभावित करती है। ध्वनि परिवर्तन की इस प्रक्रिया को संधि कहते हैं। संधि तीन प्रकार की होती है – स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि। जब संधि युक्त पदों को अलग- अलग किया जाता है तो उसे संधि विच्छेद कहते हैं; जैसे – विद्यालय – विद्या +आलय

नीचे दिए गए शब्दों की संधि कीजिए –

(क). श्रद्धा + आनंद

(ख). प्रति + एक

(ग). पुरुष + उत्तम

(घ). झंडा + उत्सव

(ड़). पुन: + आवृत्ति

(च). ज्योति: + मय

उत्तर

(क). श्रद्धा + आनंद = श्रद्धानंद

(ख). प्रति + एक = प्रत्येक

(ग). पुरुष + उत्तम = पुरुषोत्तम

(घ). झंडा + उत्सव = झंडोत्सव

(ड़). पुन: + आवृत्ति = पुनरावृत्ति

(च). ज्योति: + मय = ज्योतिर्मय

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