ICSE Solutions for पाठ 2 बहू की विदा (Bahu ki Vida) Class 9 Hindi एकांकी संचय

ICSE Solutions for बहू की विदा by Vinod Rastogi


प्रश्न क: 
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

मेरे नाम पर जो धब्बा लगा, मेरी शान को जो ठेस पहुँची, भरी बिरादरी में जो हँसी हुई, उस करारी चोट का घाव आज भी हरा है। जाओ, कह देना अपनी माँ से कि अगर बेटी की विदा करना चाहती हो तो पहले उस घाव के लिए मरहम भेजें।

(i) वक्ता और श्रोता कौन है?

उत्तर:
वक्ता जीवन लाल, कमला के ससुर है और श्रोता प्रमोद है जो अपनी बहन कमला की विदा के लिए उसके ससुराल आया है।

(ii) वक्ता का चरित्र चित्रण कीजिए।

उत्तर :
यहाँ वक्ता जीवन लाल है। जीवन लाल अत्यंत लोभी, लालची और असंवेदनशील व्यक्ति है।

(iii) जीवनलाल के अनुसार किस वजह से उनके नाम पर धब्बा लगा है?

उत्तर:
जीवनलाल के अनुसार बेटे की शादी में बहू कमला के परिवार वालों ने उनकी हैसियत के हिसाब से उनकी खातिरदारी नहीं की तथा कम दहेज दिया। इससे उनके मान पर धब्बा लगा है।

(iv) 
‘घाव के लिए मरहम भेजने’ का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
यहाँ पर ‘घाव के लिए मरहम भेजने’ का आशय दहेज से है। जीवन लाल शादी में कम दहेज मिलने के घाव को पाँच हजार रूपी मरहम देकर दूर करने कहते हैं।

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

अब शराफत और इन्सानियत की दुहाई देते हो। कुछ देर पहले तो …

(i) इस कथन की वक्ता का चरित्र चित्रण कीजिए।

उत्तर:
इस कथन की वक्ता राजेश्वरी है। यह जीवन लाल की पत्नी है। वह एक नेक दिल औरत है। धैर्यवान तथा ममता की मूर्ति है। वह अन्याय का विरोध करती है। वह अपने पति जीवन लाल की उपर्युक्त कथन द्वारा आँखें खोल देती है।

(ii) शराफत और इन्सानियत की दुहाई कौन दे रहा है? क्यों?

उत्तर:
जीवन लाल शराफत और इन्सानियत की दुहाई दे रहा है क्योंकि दहेज देने के बावजूद उसकी बेटी गौरी के ससुराल वालों उसे दहेज कम पड़ने की वजह से उसके भाई के साथ विदा न करके उसे अपमानित किया

(iii) वक्ता ने श्रोता की किस बात के लिए आलोचना की?

उत्तर:
वक्ता राजेश्वरी ने अपने पति जीवन लाल की लोभी प्रवृत्ति और दोगले व्यवहार के लिए उसकी आलोचना की। क्योंकि दहेज देने के बावजूद उसकी बेटी गौरी के ससुराल वालों के उसे दहेज कम पड़ने की वजह से उसके भाई के साथ विदा न करके उसे अपमानित करने पर जीवन लाल जीवन लाल शराफत और इन्सानियत की दुहाई देते है। जबकि खुद अपनी बहू को दहेज के पाँच हजार कम पड़ने की वजह से उसके भाई के साथ विदा नहीं करते और अपमानित करते हैं।

(iv) वक्ता ने श्रोता की आँखे किस प्रकार खोली?

उत्तर:
दहेज देने के बावजूद उसकी बेटी गौरी के ससुराल वालों के उसे दहेज कम पड़ने की वजह से उसके भाई के साथ विदा न करके उसे अपमानित करने पर जीवन लाल जीवन लाल शराफत और इन्सानियत की दुहाई देते हैं। तब वक्ता राजेश्वरी ने अपने पति जीवन लाल की आँखें खोलने के लिए कहा अब तुम शराफत और इन्सानियत की दुहाई दे रहे हो जबकि खुद अपनी बहू को दहेज के पाँच हजार कम पड़ने की वजह से उसके भाई के साथ विदा नहीं करते और अपमानित कर रहे हो।

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

कभी-कभी चोट भी मरहम का काम कर जाती है, बेटा।
अरे, खड़ी-खड़ी हमारा मुँह क्या ताक रहो हो? अन्दर जाकर तैयारी क्यों नहीं करती है? बहू की विदा नहीं करनी है क्या?

(i) ‘कभी-कभी चोट भी मरहम का काम कर जाती है’ कथन से वक्ता का क्या अभिप्राय है?

उत्तर:
‘कभी-कभी चोट भी मरहम का काम कर जाती है’ कथन से वक्ता जीवन लाल का यह अभिप्राय है कि बहू भी बेटी होती है और इस बात का उन्हें अहसास हो गया है।

(ii) 
वक्ता की बेटी के ससुराल वालों के किस काम से उनकी आँखें खुलीं?

उत्तर:
वक्ता जीवन लाल अपनी बेटी गौरी के ससुरालवालों को दहेज देने के बावजूद उसके ससुराल वालों ने उसे दहेज कम पड़ने की वजह से उसके भाई के साथ विदा न करके उसे अपमानित करने पर जीवन लाल की आँखें खुलीं।

(iii) उपर्युक्त कथन का श्रोता और उसकी बहन पर क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर:
उपर्युक्त कथन को सुनकर प्रमोद मुस्करा कर अपने जीजा रमेश की ओर देखने लगा तथा उसकी बहन कमला खुशी के आँसू पोंछती हुई अंदर चली गई।

(iv) क्या स्त्री शिक्षा दहेज प्रथा को समाप्त करने में सहायक हो सकती है? अपने विचार लिखिए।

उत्तर:
जी हाँ, स्त्री शिक्षा दहेज प्रथा को समाप्त करने में सहायक हो सकती है। शिक्षा से बेटियाँ खुद आत्मनिर्भर बनेंगी। समाज में बेटा-बेटी का फर्क मिट जाएगा तथा वे अपने अधिकार एंव अत्याचारों के प्रति सजग रहेंगी।
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