ICSE Solutions for पाठ 7 नेता जी का चश्मा (Netaji ka Chasma) Class 10 Hindi Sahitya Sagar

ICSE Solutions for नेता जी का चश्मा by Swayam Prakash


प्रश्न क: 
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

(i) इसी नगरपालिका के उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार ‘शहर’ के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी यह कहानी उसी प्रतिमा के बारे में है,बल्कि उसके भी एक छोटे-से हिस्से के बारे में।
हालदार साहब कब और कहाँ-से क्यों गुजरते थे?

उत्तर:
हालदार साहब हर पंद्रहवें दिन कंपनी के काम के सिलसिले में एक कस्बे से गुजरते थे। जहाँ बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नेताजी की मूर्ति लगी थी।

(ii) इसी नगरपालिका के उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार ‘शहर’ के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी यह कहानी उसी प्रतिमा के बारे में है, बल्कि उसके भी एक छोटे-से हिस्से के बारे में।
कस्बे का वर्णन कीजिए।

उत्तर :
कस्बा बहुत बड़ा नहीं था। जिसे पक्का मकान कहा जा सके वैसे कुछ ही मकान और जिसे बाज़ार कहा जा सके वैसा एक ही बाज़ार था। कस्बे में एक लड़कों का स्कूल, एक लड़कियों का स्कूल, एक सीमेंट का कारखाना, दो ओपन एयर सिनेमाघर और एक नगरपालिका थी।

(iii) इसी नगरपालिका के उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार ‘शहर’ के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी यह कहानी उसी प्रतिमा के बारे में है, बल्कि उसके भी एक छोटे-से हिस्से के बारे में।
नगरपालिका के कार्यों के बारे में बताइए।

उत्तर:
उस कस्बे नगरपालिका थी तो कुछ-न कुछ करती भी रहती थी। कभी कोई सड़क पक्की करवा दी, कभी कुछ पेशाबघर बनवा दिए, कभी कबूतरों की छतरी बनवा दी तो कभी कवि सम्मलेन करवा दिया।

(iv) इसी नगरपालिका के उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार ‘शहर’ के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी यह कहानी उसी प्रतिमा के बारे में है, बल्कि उसके भी एक छोटे-से हिस्से के बारे में।
शहर के मुख्य बाज़ार में प्रतिमा किसने लगवाईं थी और उस प्रतिमा की क्या विशेषता थी?

उत्तर:
शहर के मुख्य बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नगरपालिका के किसी उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी थी।
उस मूर्ति की विशेषता यह थी कि मूर्ति संगमरमर की थी। टोपी की नोक से कोट के दूसरे बटन तक कोई दो फुट ऊँची और सुंदर थी। नेताजी फौजी वर्दी में सुंदर लगते थे। मूर्ति को देखते ही ‘दिल्ली चलो’ और तुम मुझे खून दो… आदि याद आने लगते थे। केवल एक चीज की कसर थी जो देखते ही खटकती थी नेताजी की आँख पर संगमरमर चश्मा नहीं था बल्कि उसके स्थान पर सचमुच के चश्मे का चौड़ा काला फ्रेम मूर्ति को पहना दिया गया था।

(v) वाह भाई! क्या आइडिया है। मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती, लेकिन चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है?
प्रस्तुत कथन के वक्ता का परिचय दें।

उत्तर:
प्रस्तुत कथन के वक्ता हालदार साहब हैं। वे अत्यंत भावुक और संवेदनशील होने के साथ एक देशभक्त भी हैं। उन्हें देशभक्तों का मज़ाक उड़ाया जाना पसंद नहीं है। वे कैप्टन की देशभावना के प्रति सम्मान और सहानुभूति रखते हैं।

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

(i) वाह भाई! क्या आइडिया है। मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती, लेकिन चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है?
प्रस्तुत कथन के श्रोता का परिचय दें।

उत्तर:
प्रस्तुत कथन का श्रोता पानवाला है। पानवाला पूरी की पूरी पान की दुकान है, सड़क के चौराहे के किनारे उसकी पान की दुकान है। वह काला तथा मोटा है, उसकी तोंद भी निकली हुई है, उसके सिर पर गिने-चुने बाल ही बचे हैं। वह एक तरफ़ ग्राहक के लिए पान बना रहा है, वहीं दूसरी ओर उसका मुँह पान से भरा है। पान खाने के कारण उसके होंठ लाल तथा कहीं-कहीं काले पड़ गए हैं। स्वभाव से वह मजाकिया है। वह बातें बनाने में माहिर है।

(ii) वाह भाई! क्या आइडिया है। मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती, लेकिन चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है?
कस्बे से गुजरते समय हालदार साहब को क्या आदत पड़ गई थी?

उत्तर:
कस्बे से गुजरते समय हालदार साहब को उस कस्बे के मुख्य बाज़ार के चौराहे पर रुकना, पान खाना और मूर्ति को ध्यान से देखने की आदत पड़ गई थी।

(iv) वाह भाई! क्या आइडिया है। मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती, लेकिन चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है?
मूर्ति का चश्मा हर-बार कौन और क्यों बदल देता था?

उत्तर:
मूर्ति का चश्मा हर-बार कैप्टन बदल देता था। कैप्टन असलियत में एक गरीब चश्मेवाला था। उसकी कोई दुकान नहीं थी। फेरी लगाकर वह अपने चश्मे बेचता था। जब उसका कोई ग्राहक नेताजी की मूर्ति पर लगे फ्रेम की माँग करता तो कैप्टन मूर्ति पर अन्य फ्रेम लगाकर वह फ्रेम अपने ग्राहक को बेच देता। इसी कारणवश मूर्ति पर कोई स्थाई फ्रेम नहीं रहता था।

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

(i) “लेकिन भाई! एक बात समझ नहीं आई।” हालदार साहब ने पानवाले से फिर पूछा, “नेताजी का ओरिजिनल चश्मा कहाँ गया?”
प्रस्तुत कथन में नेताजी का ओरिजिनल चश्मा से क्या तात्पर्य है?

उत्तर:
प्रस्तुत कथन में नेताजी का ओरिजिनल चश्मा से तात्पर्य नेताजी के बार-बार बदलने वाले फ्रेम से है। मूर्तिकार ने नेताजी की मूर्ति बनाते समय चश्मा नहीं बनाया था। नेताजी बिना चश्मे के यह बात एक गरीब देशभक्त चश्मेवाले कैप्टन को पसंद नहीं आती थी इसलिए वह नेताजी की मूर्ति पर उसके पास उपलब्ध फ्रेमों से एक फ्रेम लगा देता था।

(ii) “लेकिन भाई! एक बात समझ नहीं आई।” हालदार साहब ने पानवाले से फिर पूछा, “नेताजी का ओरिजिनल चश्मा कहाँ गया?”
मूर्तिकार कौन था और उसने मूर्ति का चश्मा क्यों नहीं बनाया था?

उत्तर:
मूर्तिकार उसी कस्बे के स्थानीय विद्यालय का मास्टर मोतीलाल था। मूर्ति बनाने के बाद शायद वह यह तय नहीं कर पाया होगा कि पत्थर से पारदर्शी चश्मा कैसे बनाया जाये या फिर उसने पारदर्शी चश्मा बनाने की कोशिश की होगी मगर उसमें असफल रहा होगा।

(iii) “लेकिन भाई! एक बात समझ नहीं आई।” हालदार साहब ने पानवाले से फिर पूछा, “नेताजी का ओरिजिनल चश्मा कहाँ गया?”
“वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!”कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।

उत्तर:
पानवाले ने कैप्टन को लँगड़ा तथा पागल कहा है। जो कि अति गैर जिम्मेदाराना और दुर्भाग्यपूर्ण वक्तव्य है। कैप्टन में एक सच्चे देशभक्त के वे सभी गुण मौजूद हैं जो कि पानवाले में या समाज के अन्य किसी वर्ग में नहीं है। वह भले ही लँगड़ा है पर उसमें इतनी शक्ति है कि वह कभी भी नेताजी को बग़ैर चश्मे के नहीं रहने देता है। अत: कैप्टन पानवाले से अधिक सक्रिय तथा विवेकशील तथा देशभक्त है।

(iv) “लेकिन भाई! एक बात समझ नहीं आई।” हालदार साहब ने पानवाले से फिर पूछा, “नेताजी का ओरिजिनल चश्मा कहाँ गया?”
सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?

उत्तर:
चश्मेवाला कभी सेनानी नहीं रहा परन्तु चश्मेवाला एक देशभक्त नागरिक था। उसके हृदय में देश के वीर जवानों के प्रति सम्मान था। वह अपनी ओर से एक चश्मा नेताजी की मूर्ति पर अवश्य लगाता था उसकी इसी भावना को देखकर लोग उसे कैप्टन कहते थे।

प्रश्न घ: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

(i) हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
हालदार साहब ने अपने ड्राईवर को चौराहे पर रुकने के लिए मना क्यों किया?

उत्तर:
करीब दो सालों तक हालदार साहब उस कस्बे से गुजरते रहे और नेताजी की मूर्ति में बदलते चश्मे को देखते रहे फिर एक बार ऐसा हुआ कि नेताजी के चेहरे पर कोई चश्मा नहीं था। पता लगाने पर हालदार साहब को पता चला कि मूर्ति पर चश्मा लगाने वाला कैप्टन मर गया और अब ऐसा उस कस्बे में कोई नहीं था जो नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाता इसलिए हालदार साहब ने अपने ड्राईवर को चौराहे पर न रुकने का निर्देश दिया।

(i) हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?

उत्तर:
कैप्टन की मृत्यु के बाद हालदार साहब को लगा कि क्योंकि कैप्टन के समान अब ऐसा कोई अन्य देश प्रेमी बचा न था जो नेताजी के चश्मे के बारे में सोचता। हालदार साहब स्वयं देशभक्त थे और नेताजी जैसे देशभक्त के लिए उसके मन में सम्मान की भावना थी। यही सब सोचकर हालदार साहब पहले मायूस हो गए थे।

(iii) हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?

उत्तर:
मूर्ति पर लगे सरकंडे का चश्मा इस बात का प्रतीक है कि आज भी देश की आने वाली पीढ़ी के मन में देशभक्तों के लिए सम्मान की भावना है। भले ही उनके पास साधन न हो परन्तु फिर भी सच्चे हृदय से बना वह सरकंडे का चश्मा भी भावनात्मक दृष्टि से मूल्यवान है। अतः उम्मीद है कि बच्चे गरीबी और साधनों के बिना भी देश के लिए कार्य करते रहेंगे।

(iv) हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?

उत्तर:
उचित साधन न होते हुए भी किसी बच्चे ने अपनी क्षमता के अनुसार नेताजी को सरकंडे का चश्मा पहनाया। यह बात उनके मन में आशा जगाती है कि आज भी देश में देश-भक्ति जीवित है भले ही बड़े लोगों के मन में देशभक्ति का अभाव हो परंतु वही देशभक्ति सरकंडे के चश्मे के माध्यम से एक बच्चे के मन में देखकर हालदार साहब भावुक हो गए।
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